यह गीत फिल्म बाल गणेश का एक लोकप्रिय भजन है, जिसमें भगवान शिव की स्तुति की गई है। गीत की मधुरता और शिव के डमरू की गूंज इसे विशेष बनाती है। इस भजन में भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है और यह भगवान शिव की आराधना करने वाले भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है।
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शंकर जी का डमरू बाजे लिरिक्स:
शंकर जी का डमरू बाजे
पार्वती का नंदन नाचे ॥
बर्फीले कैलाशिखर पर,
जय गणेश की धूम
ओ जय हो…
शंकर जी का डमरू बाजे
पार्वती का नंदन नाचे
बर्फीले कैलाशिखर पर,
जय गणेश की धूम
नाचे धिन धिन धिन्तक धिन ॥
नाचे धिन धिन, नाचे धिन धिन,
धिन्तक धिन्तक नाचे
मनमोहक, मनभावन, नटखट
मूषक गण भागे सरपट ॥
विघ्न विनायक, संकट मोचन
वक्रतुंड कजरारे लोचन ॥
झूमे गए बल गणेश
भक्तजनो की कटे कलेश॥
नाचे धिन धिन धिन्तक धिन॥
नाचे धिन धिन, नाचे धिन धिन,
धिन्तक धिन्तक नाचे
सुनकर इतना ज्यादा शोर,
पार्वती आई उस और
डरकर माता उमा के आगे,
दुम दबाकर मूषक भागे
पर अपनी धुन में मस्त गजानन
थिरक रहे है भूलके तन मैं
गणपति बाप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया
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गीत का भावार्थ:
इस गीत में भगवान शिव की शक्ति और उनके डमरू की ध्वनि की महिमा का उल्लेख है। डमरू बजने से संसार में शुभ परिवर्तन होते हैं और नकारात्मकता का अंत होता है। शिव के डमरू की ध्वनि से ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है, और भूत-प्रेत भी उनकी आज्ञा में नाचते हैं।
यह गीत भगवान शिव के भक्तों के लिए एक आस्था से भरा हुआ गीत है, जो उनकी उपासना में डूबने का आह्वान करता है।