‘वृन्दावन में श्री चरणन में हमको रहना है (Vrindavan Me Shri Charanan Me Humko Rehna Hai)’ एक बेहद सुन्दर और भक्तिमय भजन है जो भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी के प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा और प्रेम को प्रकट करता है। इस भजन में भक्त की इच्छा है कि वह अपने जीवन का हर पल वृन्दावन में श्रीकृष्ण के चरणों में बिताए। आइए इस भजन के लिरिक्स को विस्तार से जानते हैं।
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लिरिक्स:
वृन्दावन में श्री चरणन में हमको रहना है,
संतन के संग बैठ बैठ मोहे नाम सुमिरना है,
वृंदावन में श्री चरणन में हमको रहना है।।
तुलसी कंठी चंदन ब्रजरज अब यही म्हारा गहना है,
राधा नाम की अविरल धारा,
राधा नाम की अविरल धारा मोहे संग संग बहना है,
वृंदावन में श्री चरणन में हमको रहना है।।
सुख-दुख सहना कछु नहीं कहना,
कर्मन का फल जान के सहना,
इतना भरोसा मोहे देना
इतना भरोसा मोहे देना प्यारे तू मेरे संग संग है ना,
वृंदावन में श्री चरणन में हमको रहना है।।
अंत समय प्रभु आए हमारा जमुना का किनारा हो,
रज में रज है के मिल जाऊं,
रज में रज है के मिल जाऊं,
प्यारे एक ही अरज निभाना,
वृंदावन में श्री चरणन में हमको रहना है।।
कहे ‘गोविंद’ सुनो मोरे ठाकुर मेरा अंत बना देना,
आना श्री राधे संग माही,
आना श्री राधे संग माही मोहे सेवा में ले लेना,
वृंदावन में श्री चरणन में हमको रहना है।।
वृन्दावन में श्री चरणन में हमको रहना है,
संतन के संग बैठ बैठ मोहे नाम सुमिरना है,
वृंदावन में श्री चरणन में हमको रहना है।।
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भजन का महत्व
यह भजन हमें सिखाता है कि जीवन का वास्तविक सुख भगवान के चरणों में ही है। संतों के संग बैठकर भगवान का नाम स्मरण करना, ब्रज की रज में रजाना, और अंत समय में भगवान के चरणों में समर्पित होना ही सच्चा सुख है। यह भजन हमारे जीवन में आध्यात्मिक शांति और सुख की अनुभूति कराने वाला है।
निष्कर्ष
‘वृन्दावन में श्री चरणन में हमको रहना है (Vrindavan Me Shri Charanan Me Humko Rehna Hai)’ भजन हर भक्त के हृदय में भक्ति की लहरें उठाने वाला है। इसे गाते समय हमें महसूस होता है कि हम वास्तव में वृन्दावन में हैं और भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में बैठे हैं। इस भजन को सुनकर या गाकर हम अपने जीवन में भगवान के प्रति असीम श्रद्धा और प्रेम की अनुभूति कर सकते हैं।
आशा है कि इस भजन के लिरिक्स और उसके अर्थ को जानकर आपको आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति हुई होगी। इस भजन को गाते रहें और भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में अपनी भक्ति को और गहरा बनाएं।